उत्तरांचल विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
देहरादून। उत्तरांचल विश्वविद्यालय ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्य विषय पर दो दिवसीय आईसीएसएसआर प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. कल्याण सिंह रावत ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जितेंद्र जोशी, उपाध्यक्ष अंकिता जोशी और कुलपति प्रो. (डॉ.) धरम बुद्धि भी मौजूद रहे।
जितेंद्र जोशी ने कहा कि यह मंच शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और विद्यार्थियों को एक साथ लाकर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों एवं भारतीय संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीतियों पर सार्थक विमर्श का अवसर प्रदान करता है।
मुख्य अतिथि डॉ. कल्याण सिंह रावत ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित सतत जीवनशैली को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने “भूजा” — जीवनदायी मिट्टी — के संरक्षण को धरती की सेहत के लिए अनिवार्य बताते हुए गंगा नदी को पुनर्जीवित करने हेतु संगठित प्रयासों की अपील की। उन्होंने अपने “मेती आंदोलन” के अनुभव साझा करते हुए छात्रों को “ग्रीन एंबेसडर” बनने और नवाचार व जमीनी कार्यों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि कुलपति प्रो. (डॉ.) धरम बुद्धि ने पारंपरिक पर्यावरणीय ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक सोच के साथ जोड़ने की आवश्यकता उजागर की। निदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) प्रो. (डॉ.) राजेश सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा एसडीजी आधारित शोध व प्रकाशनों में दिए जा रहे योगदान का विवरण प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के दौरान प्रो. (डॉ.) पीयूष कुच्छल, डॉ. बृज मोहन शर्मा, श्री अशिष शर्मा, डॉ. डी.वी. गदरे, डॉ. एस.एस. सुथार, डॉ. हरी राज, डॉ. अजय सिंह और श्री राजेश देओरारी ने जलवायु-स्मार्ट कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था, पर्यावरण नीति और सतत शहरी विकास जैसे विषयों पर अपने शोध व विचार साझा किए। सत्र अध्यक्षों ने प्रतिभागियों के प्रस्तुतिकरणों का सारांश प्रस्तुत कर सारगर्भित शैक्षणिक चर्चा को आगे बढ़ाया।
देशभर से आए शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने विभिन्न पत्र प्रस्तुत किए तथा बदलते वैश्विक परिवेश में सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के नए समाधान व दृष्टिकोण साझा किए। समापन सत्र में संयुक्त निदेशक (अनुसंधान एवं नवाचार) प्रो. (डॉ.) अनीता गहलोत ने आईसीएसएसआर, विशेष अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम सतत भविष्य के लिए जागरूकता बढ़ाने और सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

