तीन साल से ज्यादा एक स्थान पर नहीं रहेगी मेडिकल फैकल्टी, खाली पदों पर होगी भर्ती
उत्तराखंड सरकार मेडिकल फैकल्टी के लिए नई स्थानांतरण नीति ला रही है जिसके तहत चिकित्सक एक पद पर तीन साल से ज़्यादा नहीं रहेंगे। दूरस्थ क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष मानदेय दिया जाएगा। सरकार खाली पदों को भरने और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने पर भी ध्यान दे रही है। नई नीति का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और समानता लाना है।
उत्तराखंड सरकार अब राजकीय मेडिकल कालेजों में तैनात मेडिकल फैकल्टी के लिए अलग स्थानांतरण नीति लागू करने जा रही है। नई नीति के तहत कोई भी चिकित्सक एक ही पद पर एक ही स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष तक ही तैनात रह सकेगा। इसके बाद उनका स्थानांतरण अनिवार्य होगा।
यह जानकारी चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने मंगलवार को दून मेडिकल कालेज में आयोजित डाक्टर आफ द ईयर अवार्ड-2025 समारोह में दी। उन्होंने कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया को पूर्णतः पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों को सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन करते हुए नीति का मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में समरसता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। मंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश के दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। इन क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों को विशेष मानदेय और अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि वे वहां लंबे समय तक सेवाएं देने के लिए प्रेरित हो सकें।
डा. रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने राजकीय चिकित्सालयों और मेडिकल कालेजों में विशेषज्ञ डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल और तकनीकी स्टाफ की बड़े पैमाने पर नियुक्ति की है। साथ ही इन संस्थानों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है।