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Devbhumi Discover > उत्तराखण्ड > पंचायत चुनाव पर विपक्षी नेता यशपाल आर्य का हमला: रिटर्निंग अफसरों के फैसले व अनुभवहीन तैनाती से निष्पक्षता पर सवाल
उत्तराखण्ड

पंचायत चुनाव पर विपक्षी नेता यशपाल आर्य का हमला: रिटर्निंग अफसरों के फैसले व अनुभवहीन तैनाती से निष्पक्षता पर सवाल

Devbhumi Discover
Last updated: July 15, 2025 8:24 am
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देहरादून

उत्तराखंड पंचायत चुनावों के बीच निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि कई जिलों में रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा पक्षपातपूर्ण और नियमविरुद्ध निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित हो रही है।

नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा है कि पंचायत चुनावों में भाग लेने वाले अधिकांश प्रत्याशी सीमित कानूनी जानकारी रखते हैं। ऐसे में निर्वाचन अधिकारियों का कानूनी रूप से दक्ष और निष्पक्ष होना आवश्यक है। मगर कई जगहों पर कनिष्ठ और अनुभवहीन अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, जो नियमों की अनदेखी करते हुए निर्णय ले रहे हैं।

ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर ब्लॉक की क्षेत्र पंचायत सीट खरमासी से अनुसूचित जाति की उम्मीदवार नम्रता का नामांकन इस आधार पर निरस्त किया गया कि उन्होंने मायके का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। जबकि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए मायके का प्रमाण पत्र मान्य होता है। इसके बावजूद रिटर्निंग अधिकारी अजय जॉन ने ससुराल का प्रमाण पत्र मांगते हुए नामांकन रद्द कर दिया।

रुद्रप्रयाग जिले में एक ऐसे प्रत्याशी का नामांकन स्वीकार कर लिया गया, जिस पर 27 लाख रुपये की सरकारी देनदारी है और जिसके विरुद्ध वसूली के वारंट जारी हैं। आपत्तियों के बावजूद यह कहते हुए नामांकन स्वीकार किया गया कि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि प्रत्याशी को कोर्ट से कोई स्टे नहीं मिला है।

टिहरी जिले के अखोड़ी जिला पंचायत क्षेत्र में सात प्रत्याशियों के नामांकन बिना किसी स्पष्ट कारण के निरस्त कर दिए गए। इससे एक पक्ष को सीधा लाभ मिला। यह भी सवालों के घेरे में है कि क्या यह फैसला जानबूझकर किया गया।

ऐसे विवादित निर्णय केवल तीन जिलों तक सीमित नहीं हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि कई जगह अनुभवहीन अधिकारी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं।

सुधार की उठी मांग, आयोग से सख्त कदम की अपेक्षा

विभिन्न सामाजिक संगठनों और जानकारों ने मांग की है कि…

विवादित मामलों की निष्पक्ष जांच कराई जाए

दोषी अधिकारियों को तत्काल हटाया जाए।

प्रशिक्षित व वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती हो।

चुनाव प्रक्रिया से पूर्व अधिकारियों को उचित कानूनी प्रशिक्षण दिया जाए।

राज्य निर्वाचन आयोग से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस मुद्दे पर त्वरित व ठोस कार्रवाई कर जनता का भरोसा बहाल करे।

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TAGGED:officers' decisions and inexperienced deployment raise questions on fairnesson Panchayat elections:Opposition leaderreturningYashpal Arya's attack
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