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Devbhumi Discover > उत्तराखण्ड > सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था—25 साल में बंद हुए 4,000 स्कूल, बढ़े एकल शिक्षक विद्यालय
उत्तराखण्ड

सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था—25 साल में बंद हुए 4,000 स्कूल, बढ़े एकल शिक्षक विद्यालय

Devbhumi Discover
Last updated: November 6, 2025 8:47 am
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देहरादून।

राज्य स्थापना के पच्चीस वर्ष बाद भी उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा व्यवस्था असंतुलन और अव्यवस्था के घेरे में है। पहाड़ी जिलों में लगातार पलायन, कम जनसंख्या घनत्व और शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण हजारों स्कूल बंद हो गए हैं या एकल-शिक्षक विद्यालय बन गए हैं।

वर्ष 2000 में राज्य गठन के समय प्रदेश में लगभग 16,000 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल थे, लेकिन अब तक 4,000 से अधिक स्कूल बंद या एकीकृत हो चुके हैं। 2018 में सरकार ने 700 से अधिक स्कूल छात्रों की कम संख्या के कारण बंद किए, जो 2024 तक बढ़कर 2,000 से अधिक हो गए।

वर्तमान में प्रदेश में लगभग 3,100 एकल शिक्षक स्कूल हैं, जिनमें लगभग 94,000 छात्र पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों में केवल एक शिक्षक सभी विषयों और कक्षाओं को संभाल रहा है, जिससे शिक्षण गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और छात्रों का विद्यालय मोहभंग बढ़ रहा है।

जिलावार स्थिति 

पिथौरागढ़: बंद स्कूल 420, एकल शिक्षक 310

पौड़ी गढ़वाल: 380, 295

टिहरी: 340, 260

चंपावत: 210, 185

बागेश्वर: 170, 150

चमोली: 320, 240

उत्तरकाशी: 290, 250

देहरादून: 180, 130

नैनीताल: 200, 180

हरिद्वार: 150, 120

कुल मिलाकर: लगभग 3,000 स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत है, जबकि 4,000 से अधिक विद्यालय बंद हो चुके हैं।

वहीं, मैदानी जिलों में स्थिति विपरीत है। देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार जैसे जिलों में कई स्कूलों में कई शिक्षक तैनात हैं, जबकि छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। विशेषज्ञों के अनुसार यह असंतुलन शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक-संख्या नियोजन की कमी को दर्शाता है।

पर्वतीय जिलों में पलायन शिक्षा संकट का मुख्य कारण है। हजारों गांव अब ‘भूतहा गांव’ की श्रेणी में हैं, जहां न छात्र हैं न शिक्षक। कई स्कूल भवन जर्जर अवस्था में हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य को केवल भवन निर्माण पर नहीं, बल्कि “शिक्षक-सुलभता, डिजिटल शिक्षण और छात्र प्रतिधारण” पर ध्यान देना होगा। अन्यथा सरकारी विद्यालय केवल नाममात्र के रह जाएंगे और शिक्षा निजी हाथों में सिमट जाएगी।

उत्तराखंड की शिक्षा नीति आज इस सवाल का सामना कर रही है कि क्या शिक्षा पर्वतीय जीवन से हार रही है। जहां पहाड़ी जिलों में स्कूल बंद या एकल-शिक्षक हैं, वहीं मैदानी जिलों में शिक्षक-संपन्नता के बावजूद गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। समान अवसर और संसाधन-आधारित शिक्षा प्रबंधन अब राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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TAGGED:000 schools closedand single-teacher schools have increased.in 25 yearsis in shambles—4The state of government schools
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