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Devbhumi Discover > उत्तराखण्ड > वरिष्ठता सूची पर बवाल, इंजीनियरों ने यूपीसीएल अधिशासी निदेशक को तीन घंटे बंधक बनाया
उत्तराखण्ड

वरिष्ठता सूची पर बवाल, इंजीनियरों ने यूपीसीएल अधिशासी निदेशक को तीन घंटे बंधक बनाया

Devbhumi Discover
Last updated: June 6, 2025 8:56 am
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5 Min Read
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वरिष्ठता सूची पर बवाल, इंजीनियरों ने यूपीसीएल अधिशासी निदेशक को तीन घंटे बंधक बनाया

पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के आह्वान पर बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी पदोन्नत एई यूपीसीएल मुख्यालय पहुंचे। वे अधिशासी निदेशक मलिक के कार्यालय के बाहर गैलरी में धरने पर बैठ गए।

यूपीसीएल में 19 साल से चल रहे विवाद के बीच जारी हुई सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची के विरोध में जूनियर इंजीनियर भड़क गए हैं। मामले ने इस कदर तूल पकड़ लिया कि नाराज इंजीनियरों ने यूपीसीएल के अधिशासी निदेशक आरजे मलिक को तीन घंटे तक उनके कार्यालय में बंधक बनाए रखा। पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के आह्वान पर बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी पदोन्नत एई यूपीसीएल मुख्यालय पहुंचे। वे अधिशासी निदेशक मलिक के कार्यालय के बाहर गैलरी में धरने पर बैठ गए।

तीन घंटे तक मलिक को उनके कार्यालय में बंधक बनाकर रखा। शाम को बमुश्किल मलिक निकल पाए। एसोसिएशन का आरोप है कि यूपीसीएल प्रबंधन ने गलत तरीके से यह सूची जारी की है। सवाल किया कि सीधी भर्ती के जो इंजीनियर 2010 में विभाग में नियुक्त हुए, उन्हें 2008 की वरिष्ठता सूची में क्यों शामिल किया गया? दिनभर यूपीसीएल में जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के सदस्य धरने पर बैठे रहे। उनकी मांग है कि इस सूची को तत्काल निरस्त किया जाए। इसमें 2010 के सीधी भर्ती के एई को बाहर किया जाए।

शासन स्तर की समिति की रिपोर्ट पर जारी हुई वरिष्ठता
यूपीसीएल प्रबंधन के मुताबिक, मुख्य सचिव ने वरिष्ठता मामले के निस्तारण के लिए शासन स्तर पर समिति गठन के निर्देश दिए थे। निर्देशों के तहत प्रमुख सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने समिति गठित की थी, जिसमें अपर सचिव विधि सुधीर कुमार सिंह, अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल और अपर सचिव ऊर्जा डॉ. अहमद इकबाल शामिल थे। इस समिति ने सभी पहलुओं को देखने के बाद रोटा-कोटा के सिद्धांत पर अपनी रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट पर मुख्य सचिव व यूपीसीएल के अध्यक्ष आनंद बर्द्धन ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जिसके आधार पर वरिष्ठता सूची जारी की गई है।

यह है तकनीकी पेच

जूनियर इंजीनियरों का कहना है कि जो इंजीनियर सीधी भर्ती से बाद में आए, उन्हें कैसे वरिष्ठता दी गई। जबकि प्रबंधन का तर्क है कि रोटा-कोटा सिद्धांत के तहत यह वरिष्ठता निर्धारित की गई है। इसके लिए जेई से एई की पदोन्नति तभी वैध मानी जाएगी जबकि सीधी भर्ती के निश्चित प्रतिशत तक पदों को भी इसमें स्थान दिया जाए।

सीधी भर्ती के इंजीनियरों ने जताया सरकार-प्रबंधन का आभार
उत्तरांचल पावर इंजीनियर एसोसिएशन ने वरिष्ठता सूची जारी करने पर राज्य सरकार, शासन और यूपीसीएल प्रबंधन का आभार जताया है। एसोसिएशन के महासचिव राहुल चानना ने कहा कि लंबे समय से न्याय के लिए जूझ रहे सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं के साथ आखिर न्याय हुआ है। करीब 10 साल से पदोन्नति की राह देख रहे सीधी भर्ती के एई की पदोन्नति का मार्ग अब प्रशस्त हो गया है। उन्होंने बताया कि इस सूची का रोटा कोटा के सिद्धांत के अनुसार से किया गया है। एसोसिएशन ने यूपीसीएल प्रबंधन से जल्द डीपीसी की मांग की है, जिससे पदोन्नति का इंतजार खत्म हो सके। धन्यवाद ज्ञापित कार्यक्रम में कार्तिकेय दूबे, अनिल मिश्रा, विवेक राजपूत, सौरभ पांडेय, आशुतोष कटारिया, बृजेश, रेखा डंगवाल, बबीता कोहली आदि मौजूद रहे।

पदोन्नति के खिलाफ हाईकोर्ट में चल रहा है वाद
डिप्लोमा इंजीनियरों के जेई से एई के पद पर हुई पदोन्नति के खिलाफ सीधी भर्ती के इंजीनियरों ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया हुआ है। उनका कहना है कि जेई से एई के पद पर इनकी पदोन्नति में उस वक्त शिथिलीकरण का लाभ दिया गया, जबकि राज्य में ऐसी नियमावली लागू ही नहीं थी। यूपी की जो नियमावली शिथिलीकरण में आधार बनाई गई थी, उसे तत्कालीन अधिकारियों ने यूपीसीएल में अंगीकार भी नहीं किया था। उनका ये भी कहना है कि जेई के पद पर छह साल सेवा के बाद जेई सेलेक्शन ग्रेड के पद पर चार साल सेवा देनी होती थी। तब एई के पद पर पदोन्नति मिलती थी। लेकिन सेलेक्शन ग्रेड भी हटा दिया गया। हालांकि अभी इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है।

कोर्ट जाएगी जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन

वरिष्ठता सूची प्रकरण में जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है। एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने टीम नैनीताल रवाना कर दी है। जल्द ही याचिका दायर की जाएगी।

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