By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Devbhumi DiscoverDevbhumi DiscoverDevbhumi Discover
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Search
Recent Posts
  • भारी बारिश के बीच गंगा घाटों पर पुलिस अलर्ट, लोगों को किया जा रहा सचेत
  • डाकपत्थर: शक्ति नहर में तीन लोग डूबे, रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा गया, मॉक ड्रिल भी आयोजित
  • उत्तराखंड में भारी बारिश का रेड अलर्ट, सभी जिलों में आपदा प्रबंधन के निर्देश
  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद चुनाव की अधिसूचना जारी, आज नामांकन प्रक्रिया पूरी होगी
  • महेंद्र भट्ट दूसरी बार बनेगे BJP प्रदेश अध्यक्ष, गढ़वाल से फिर दिखी संगठन में ‘बाहुबली’ पकड़
  • Advertise
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Reading: जलियांवाला बाग हत्या कांड के 104 बरस पूरे
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
Devbhumi DiscoverDevbhumi Discover
Font ResizerAa
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Search
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Follow US
  • Advertise
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Devbhumi Discover > Editorial > जलियांवाला बाग हत्या कांड के 104 बरस पूरे
Editorial

जलियांवाला बाग हत्या कांड के 104 बरस पूरे

Devbhumi Discover
Last updated: May 2, 2023 9:29 am
Devbhumi Discover
Share
4 Min Read
SHARE

जलियांवाला बाग की घटना को 104 साल बीत चुके हैं लेकिन देश आज भी उन शहीदों को भूला नहीं है, जिन्होंने इस दिन राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इसमें बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुषों समेत सभी वर्ग के लोग शामिल थे। इसे अमृतसर के नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है। 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के
त्योहार पर, ब्रिटिश सैनिकों ने इसी दिन पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी सभा पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें हजारों लोग शहीद हुए और घायल हो गए। जलियांवाला बाग की इस घटना ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। 8 मार्च 1919 को तत्कालीन
ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट लागू कर दिया। इस कानून के तहत अंग्रेज सरकार किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाए जेल भेज सकती थी। इस काले कानून के खिलाफ देशव्यापी आवाज उठी। जगह-जगह जाम और प्रदर्शन हुए। हालात बिगड़ता देख पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी ब्रिगेडियर जनरल डायर को सौंप दी गई।

इसके बावजूद रॉलेट एक्ट के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन नहीं थमा। 13 अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में सभा रखी गई थी जिसमें 25-30 हजार लोग जमा हुए थे। तभी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंचा और सभा में शामिल निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस दौरान लोगों पर 10
मिनट तक अंधा-धुंध लगातार फायरिंग होती रही। इस बीच भारी अफरातफरी में हजारों भारतीय शहीद हो गए। हालांकि घटना की जांच के लिए बनी कमेटी ने मरने वालों की संख्या 379 बताई। अंग्रेजों की इस क्रूरतम कार्रवाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल कर रख दी। जलियांवाला बाग किसने बनवाया था यह अभी भी एक रहस्य है। लोगों का मानना है कि यह कभी बगीचे वाला घर था और भाई हिम्मत सिंह के परिवार की निजी संपत्ति हुआ करती थी। हालांकि, जब वह अमानवीय घटना 1919 में हुई, तो जलियांवाला बाग और कुछ नहीं बल्कि एक जमीन का टुकड़ा था। प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव पूरे भारत में सामने आ रहे थे और महंगाई और कराधान के अलावा, पंजाब को अपने सैनिकों का भी नुकसान उठाना पड़ा, जो उस समय ब्रिटिश सेना में थे। उन कारणों और अन्य कई कारणों से अंग्रेजों को पंजाब में लगातार संघर्षों और विरोधों का सामना करना पड़ रहा था। स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख अधिकारियों ने ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड डायर को बुलाया। इसके बाद, उन्होंने आदेश का पालन किया, जो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए था। तुरंत प्रभाव से, उन्होंने सार्वजनिक सभाओं और सभाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया। हालांकि, लोगों को नोटिस के बारे में पता नहीं था और इसके बजाय बैसाखी मनाने की तैयारी कर रहे थे। करीब 25-30 हजार से अधिक लोग जलियांवाला बाग में जमा हो गए।

You Might Also Like

प्रदेश के सभी पोलिंग बूथों पर होगा पौधारोपण, 2 लाख पौधारोपण का लक्ष्य

CM Dhami Announces Renaming of Key Locations Across Haridwar, Dehradun, Nainital, and Udham Singh Nagar

Kedarnath-Hemkund Ropeway: A Green Corridor for Spiritual Tourism

पांच हज़ार वर्ष पुरानी है भारतीय योग परंपरा

सुशीला के मजबूत हौसलों, ने भरी थी उत्तराखण्ड आन्दोलन में नई जान

TAGGED:jaliaya wala baag
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article धामी सरकार 2.0  का एक साल , चुनौतियों के बीच बड़े फैसलों की भरमार
Next Article E-Paper 15-30 April 2023
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

100FollowersLike
100FollowersFollow
100FollowersFollow
100SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

भारी बारिश के बीच गंगा घाटों पर पुलिस अलर्ट, लोगों को किया जा रहा सचेत
उत्तराखण्ड June 30, 2025
डाकपत्थर: शक्ति नहर में तीन लोग डूबे, रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा गया, मॉक ड्रिल भी आयोजित
उत्तराखण्ड June 30, 2025
उत्तराखंड में भारी बारिश का रेड अलर्ट, सभी जिलों में आपदा प्रबंधन के निर्देश
उत्तराखण्ड June 30, 2025
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद चुनाव की अधिसूचना जारी, आज नामांकन प्रक्रिया पूरी होगी
उत्तराखण्ड June 30, 2025
Devbhumi DiscoverDevbhumi Discover
Follow US
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?