देहरादून।
उत्तराखंड में वन विभाग के ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार ने डिविजन स्तर पर पुनर्गठन की तैयारी पूरी कर ली है और अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। नई व्यवस्था के तहत प्रदेश में टेरिटोरियल और नॉन टेरिटोरियल डिवीजन की व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी, जिससे सभी फॉरेस्ट डिवीजन एक समान हो जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार, राज्य में फॉरेस्ट डिवीजन की संख्या करीब 10 तक घटाई जा रही है। इससे संबंधित प्रस्ताव को शासन स्तर पर स्वीकृति मिल चुकी है और अब वित्त विभाग से भी अनुमति प्राप्त हो गई है। प्रस्ताव फिलहाल कार्मिक विभाग में विचाराधीन है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
वन विभाग में वर्तमान में टेरिटोरियल डिवीजन को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, जबकि नॉन टेरिटोरियल डिवीजन में अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर उत्साह कम देखा जाता रहा है। नई व्यवस्था लागू होने पर यह भेद समाप्त हो जाएगा। इससे अधिकारियों की तैनाती में आने वाली कठिनाइयां भी खत्म होंगी।
विभागीय पुनर्गठन के तहत मुख्यालय स्तर पर DFO (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) और CF (कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट) स्तर के नए पद भी सृजित किए जाएंगे। अभी तक मुख्यालय में केवल CCF या उससे ऊपर रैंक के अधिकारियों के लिए ही पद स्वीकृत हैं। नई व्यवस्था लागू होने पर फील्ड स्तर पर DFO की संख्या कम होगी, जबकि मुख्यालय पर समकक्ष पद बढ़ाए जाएंगे।
राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि, “फॉरेस्ट डिविजन के पुनर्गठन को लेकर गंभीरता से विचार किया गया है। वन विभाग की कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए नई व्यवस्था शीघ्र लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।”
नई नीति के लागू होने के बाद उत्तराखंड वन विभाग में प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और अधिकारियों की जिम्मेदारियों में स्पष्टता आने की उम्मीद है।

