नैनीताल में 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची से रेप के आरोपी उस्मान खान के पुत्र रिजवाना खान को हाई कोर्ट ने राहत दी है। रिजवान का स्थानांतरण लोनिवि खटीमा से घनसाली के खंड कार्यालय में किया गया था। ट्रांसफर आदेश में कार्य में शिथिलता और उच्चाधिकारियों के आदेश की अव्हेलना लिखा गया था। इस आदेश को सहायक अभियंता ने कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने मामले में ट्रांसफर आदेश से प्रतिकूल टिप्पणी हटाने का आदेश दिया है।
गुरुवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दलील दी कि स्थानांतरण आदेश उत्तराखंड स्थानांतरण अधिनियम-2017 की धारा 18(4) का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते उन्हें स्थानांतरण से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण आदेश में कार्य में शिथिलता और वरिष्ठों के आदेशों का पालन न करने का उल्लेख गलत तरीके से किया गया है।
खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध विभाग की ओर से की गई सभी प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का आदेश पारित किया। कोर्ट के आदेश के बाद अब स्थानांतरण में जनहित शब्द का उल्लेख किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने विभाग को नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की छूट भी दी है। ऐसे में अब विभाग यदि कहीं मामला बनता है तो नियमानुसार कार्यवाही शुरू कर सकता है।