By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Devbhumi DiscoverDevbhumi DiscoverDevbhumi Discover
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Search
Recent Posts
  • काष्ठपुर में फर्जी बिल कांड: स्कूटी-ट्रैक्टर से ढोया 10 करोड़ का माल, 1.50 करोड़ की सरेंडर राशि जमा
  • शिवपुरी बंजी जंपिंग हादसा: रस्सी टूटी, युवक 55 मीटर नीचे गिरकर गंभीर घायल
  • बेंगलुरु से पकड़ा 87 लाख ठगी का मास्टरमाइंड
  • पैतृक गांव पहुंचकर भावुक हुए, बचपन की यादों से भरा दिन :सीएम धामी
  • मॉक ड्रिल के लिए डिजीटल ट्विन तकनीक का प्रयोग करे यूएसडीएमए- असवाल
  • Advertise
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Reading: मिट्टी से मिट्टी तक : आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर बनाने का नवाचार
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
Devbhumi DiscoverDevbhumi Discover
Font ResizerAa
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Search
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • क्राइम
  • खेल
  • दुनिया
  • देश
  • धर्म
  • पर्यटन
  • E-Paper
  • राजनीति
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
Follow US
  • Advertise
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Devbhumi Discover > उत्तराखण्ड > मिट्टी से मिट्टी तक : आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर बनाने का नवाचार
उत्तराखण्ड

मिट्टी से मिट्टी तक : आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर बनाने का नवाचार

Devbhumi Discover
Last updated: October 4, 2025 9:20 am
Devbhumi Discover
Share
4 Min Read
SHARE

मिट्टी से मिट्टी तक : आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर बनाने का नवाचार

– प्लास्टिक प्रदूषण और पराली जलाने की दोहरी चुनौतियों का समाधान करते हुए किसानों की आय में वृद्धि

– इनोपैप लैब द्वारा गेहूँ के भूसे को बायोडिग्रेडेबल, कम्पोस्टेबल, खाद्य-सुरक्षित टेबलवेयर में परिवर्तित किया गया

– स्वच्छ भारत, आत्मनिर्भर भारत एवं संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप

– पैरासन मशीनरी के साथ उद्योग साझेदारी से लैब-टू-मार्केट संक्रमण को गति

रूडकी :. आईआईटी रुड़की पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए स्थायी और अभिनव समाधानों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। संस्थान की इनोपैप लैब (Innovation in Paper & Packaging Lab) ने पैरासन मशीनरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, औरंगाबाद के सहयोग से गेहूँ के भूसे से बने पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर का सफलतापूर्वक विकास किया है — एक ऐसा कृषि अवशेष जिसे आमतौर पर कटाई के बाद जला दिया जाता है।

यह प्रौद्योगिकी एक साथ दो गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं — फसल अवशेष जलाने और एकल-उपयोग प्लास्टिक के प्रदूषण — का समाधान प्रस्तुत करती है। गेहूँ के भूसे को ढाले हुए, जैव-अवक्रमणीय और कम्पोस्टेबल टेबलवेयर में बदलकर, इस तकनीक ने “मिट्टी से मिट्टी तक” के दर्शन को मूर्त रूप दिया है — जो धरती से उत्पन्न होकर उपयोग के बाद पुनः धरती में समा जाता है।

कागज़ प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. विभोर के. रस्तोगी, जिन्होंने इस परियोजना का नेतृत्व किया, ने कहा, “यह शोध दर्शाता है कि कैसे रोज़मर्रा की फसल के अवशेषों को उच्च-गुणवत्ता वाले, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों में परिवर्तित किया जा सकता है। यह विज्ञान और इंजीनियरिंग की उस क्षमता को दर्शाता है जो पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित और आर्थिक रूप से व्यवहार्य समाधान प्रदान कर सकती है।”

भारत में हर वर्ष लगभग 35 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसका बड़ा हिस्सा जला दिया जाता है या बेकार छोड़ दिया जाता है। यह नवाचार न केवल इस पर्यावरणीय हानि को रोकता है बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान कर अपशिष्ट को संपदा में बदलने वाले चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल की दिशा में कदम है।

यह पहल स्वच्छ भारत मिशन, आत्मनिर्भर भारत और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) — विशेष रूप से SDG 12 (जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन) तथा SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) — के अनुरूप है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने कहा, “यह नवाचार समाज की वास्तविक चुनौतियों का समाधान करने के प्रति आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय अभियानों को मज़बूती प्रदान करता है तथा प्रयोगशाला अनुसंधान को व्यावहारिक प्रभाव में बदलने का उदाहरण है।”

इस परियोजना में जैस्मीन कौर (पीएचडी छात्रा) एवं डॉ. राहुल रंजन (पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता) ने मोल्डेड टेबलवेयर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने इसे एक उदाहरण बताया कि कैसे युवा शोधकर्ता स्थायी भविष्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।

आईआईटी रुड़की का यह नवाचार दर्शाता है कि अनुसंधान न केवल पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान कर सकता है, बल्कि कृषि, उद्योग और समाज को एक साथ लाभान्वित करते हुए एक स्वच्छ, स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दे सकता है।

You Might Also Like

काष्ठपुर में फर्जी बिल कांड: स्कूटी-ट्रैक्टर से ढोया 10 करोड़ का माल, 1.50 करोड़ की सरेंडर राशि जमा

शिवपुरी बंजी जंपिंग हादसा: रस्सी टूटी, युवक 55 मीटर नीचे गिरकर गंभीर घायल

बेंगलुरु से पकड़ा 87 लाख ठगी का मास्टरमाइंड

पैतृक गांव पहुंचकर भावुक हुए, बचपन की यादों से भरा दिन :सीएम धामी

मॉक ड्रिल के लिए डिजीटल ट्विन तकनीक का प्रयोग करे यूएसडीएमए- असवाल

TAGGED:From Soil to Soil:IIT Roorkee's innovationstrawtableware fromto make eco-friendly
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article सीएम धामी से मिले महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद गिरि, आध्यात्मिक व राष्ट्रहित विषयों पर हुई चर्चा
Next Article ट्रांसपोर्ट नगर में एमडीडीए-नगर निगम की संयुक्त कार्रवाई, अतिक्रमण हटाया
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

100FollowersLike
100FollowersFollow
100FollowersFollow
100SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने किया ‘आदर्श चम्पावत’ लोगो का विमोचन
उत्तराखण्ड November 14, 2025
“उत्तराखंड को आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बनाना हमारा लक्ष्य”-मुख्यमंत्री
उत्तराखण्ड November 14, 2025
मुख्यमंत्री धामी ने टनकपुर सहकारिता मेला का किया शुभारंभ-ग्रामीण उद्यमिता को मिला नया प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड November 14, 2025
मुख्यमंत्री धामी की टनकपुर में ‘एकता पदयात्रा’, युवाओं को स्वदेशी व नशा मुक्त भारत के लिए किया प्रेरित
उत्तराखण्ड November 14, 2025
Devbhumi DiscoverDevbhumi Discover
Follow US
© 2023 Devbhumi Discover. All Rights Reserved. | Designed By: Tech Yard Labs
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?