उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले लिए गए हैं। यूं तो धाकड़ धामी के तमाम फैसलों ली लंबी फ़ेरिस्ट है लेकिन “धाकड़ धामी” के बीते एक साल में आधे दर्जन ऐसे निर्णय लिए हैं जिनकों विपक्ष भी दबी जुबान में हौसला अफजाई कर रहा है
धामी सरकार ने एक ओर युवाओं के हितों का ध्यान में रखते हुए देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून को लागू किया वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में धर्मांतरण पर रोक संबंधित कानून को भी धामी सरकार ने इसी साल मंजूरी दी है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री धामी ने सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण सम्बन्धी बिल को कानूनी रूप देकर मातृशक्ति का मान भी बढ़ाने के साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में सुरक्षा के दृष्टिगत सिलसिलेवार तरीक़े से राजस्व पुलिस के स्थान पर रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। धामी सरकार के इन चार निर्णयों के अलावा हाल में ही गैरसैण सत्र के दौरान धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बिल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वही धामी सारकार के बड़े निर्णयों में ‘समान नागरिक संहिता’ को लागू करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास भी इस सरकार के कार्यकाल में महत्वपूर्ण कदम हैं ।
कठोर नक़ल विरोधी क़ानून
राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने हेतु धामी सरकार ने उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 लागू किया है। इस अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किए गए हैं। दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यहां तक कि अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी।
आन्दोलन कारियों को आरक्षण
उत्तराखंड में लंबे समय से राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण दिए जाने को लेकर की मांग चल रही थी। पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद से राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण दिये जाने का यह विधेयक वर्ष 2016 से राजभवन में लंबित था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बाबत अपने स्तर से स्वयं राजभवन से अनुरोध किया। उनके अनुरोध पर 7 साल बाद पिछले साल राजभवन ने इसे लौटा दिया था। इधर धामी सरकार ने विधेयक की ख़ामियों को दूर करते हुए नए सिरे से प्रस्ताव तैयार किया। आंदोलनकारियों की माँग को लेकर सीएम धामी ने बड़ा मन दिखाते हुए प्राथमिकता के आधार पर इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंज़ूरी दे दी।
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता को लेकर धामी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। इस मामले में एक विशेषज्ञ समिति राज्य में निवास करने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक कानून का मसौदा तैयार कर वर्तमान में प्रचलित कानून में संशोधन व सुझाव सरकार को देगी। साथ ही राज्य में विवाह, तलाक के संबंध में प्रचलित कानूनों में एकरूपता लाने का मसौदा बनाएगी। सामान नागरिक संहिता के लिए गठित समिति ने प्रदेश के विविन्न लोगों से इस बाबत सुझाव मांगे हैं । वर्तमान में समिति अलग अलग समुदाय से जुड़े लोगों से बातचीत कर उनकी राय ले रही है। समिति के रुख से यह तय माना जा रहा है कि इस साल यह कानून प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा ।
30 प्रतिशत महिला आरक्षण
प्रदेश की महिलाओं के नौकरियों में आरक्षण हेतु धामी सरकार ने इसी साल उत्तराखण्ड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 को लागू किया है। इस कानून से प्रदेश में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एक बार फिर से लागू हो गई है। यह कानून मातृशक्ति के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उत्तराखण्ड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 के तहत राज्य में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
धर्मांतरण का सख़्त कानून
धामी सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पारित किया है। इसके ज़रिए प्रदेश में अब धर्मांतरण कराने वालों की खैर नहीं होगी। हमारा यह कानून उत्तर प्रदेश से भी कहीं अधिक कठोर है। राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन संज्ञेय एवं गैर जमानती होगा। इसमें 2 से 7 साल तक जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। अवयस्क महिला, एससी, एसटी के धर्म परिवर्तन पर 2 से 10 साल तक सजा, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल तक जेल, 50 हजार जुर्माना होगा एवं पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से 5 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति किए जाने का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे दो माह के भीतर जिलाधिकारी को अर्जी देनी होगी। धर्म परिवर्तन करने की अर्जी देने के 21 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को डीएम के समक्ष पेश होना पड़ेगा। इसके अलावा जबरन धर्मांतरण की शिकायत कोई भी व्यक्ति दर्ज कर सकता है।
प्रदेश के रेगुलर पुलिसिंग व्यवस्था
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसी साल बड़ा निर्णय लेते हुए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में 6 पुलिस थाने और 20 चौकियों की भी शुरुआत की है। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन सभी क्षेत्रों को राजस्व पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस में देने को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बाबत तत्काल निर्णय लेते हुए न सिर्फ़ पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी बल्कि उनका शासनादेश जारी कर उनका संचालन भी शुरू कर दिया गया।