22 किमी पैदल चलकर पौराणिक यात्रा मार्ग का किया निरीक्षण
देवभूमि डिस्कवर : पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने जनपद के भूले-विसरे मार्ग पर पैदल यात्रा कर इसके खोए हुए वैभव को पुनर्स्थापित करने की पहल की है। डीएम डॉ. चौहान ने पौड़ी जिले के अंतर्गत ऋषिकेश- बदरीनाथ तीर्थाटन पैदल मार्ग पर स्थित सिमालो गांव से नांद गांव तक 22 किलोमीटर की पैदल ट्रेकिंग की। पूर्व में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी इस दिशा में पहल की थी लेकिन वह धरतल पर नहीं उतर सकी। जिलाधिकारी चौहान ने पैदल मार्ग पर पड़ने वाले सीमालू, महादेव चट्टी, किनसूर, घेड़, बिलोगी, घांगुगढ़ व सिंकटाली सहित एक दर्जन गांवों से होकर यह सफ़र तय किया। जिलाधिकारी को अपने बीच पाकर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत भी किया।
ऋषिकेश- बदरीनाथ मार्ग के निर्माण से पहले बदरीनाथ-केदार तक पंहुचने को अनेक पैदल रास्ते हुआ करते थे, इनमें से ऋषिकेश-महादेवचट्टी-मोहनचट्टी-व्यासचट्टी मार्ग सबसे महत्वपूर्ण रास्तों में से एक था। इस रास्ते पर इसी तरह अनेक चट्टियाँ मौजूद थी। इन तमाम चट्टियों में मौजूद बाबा काली कमली की धर्मशालाओं के भग्नावशेष इस बात की तस्दीक करते हैं कि कभी यह मार्ग तीर्थ यात्रियों की चहलकदमी से गुलज़ार रहा होगा।
जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने कहा कि पौड़ी गढ़वाल की सांस्कृति विरासत एवं समृद्ध परम्पराओं का केंद्र है। उन्होंने बताया कि आदिकाल से ही चाराधाम यात्रा के दृष्टिगत पौराणिक रास्तों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए और विशेषकर बदरी-केदार के लिए जाते थे, समय के साथ-साथ यातायात सुगम होता गया और पौराणिक चट्टी मार्ग/पैदल मार्गो से आवाजाही बंद हो गई। अब इस प्राचीन रास्ते को हिस्टॉरिकल और एडवेंचर टूरिज्म की एक्टिविटीज़ से जोड़ कर पर्यटन का एक नया स्वरूप तैयार करने की तैयारी है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए आने वाले यात्रियों और साहसिक खेलों में रुचि रखने वालों के लिए इस ट्रेकिंग रूट को बेहतर बनाया जाएगा। जिससे पौड़ी जिले की आर्थिकी सुदृढ़ होगी और जिले में पर्यटन की गतिविधियों को भी पंख लगेंगे। जिसे एकबार फिर से प्रयास कर इन रास्तों को पुर्नजीवित करने की दिशा में प्रयास जारी है। जिलाधिकारी की इस पहल की स्थानीय स्तर पर जमकर सराहा हो रही है ।