प्रियंक मोहन वशिष्ठ
देवभूमि उत्तराखंड में बदलते दौर के साथ-साथ साइबर अपराध से लड़ने की भी चुनौती खड़ी हो गई है। बीते कुछ सालों में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस द्वारा इस मामले पर व्यापक स्तर पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वाबजूद इसके अपराधी नए-नए तरीकों अपना कर हर बार नए नए लोगों को अपने जाल फंसाकर करोड़ों की ठगी कर चुके हैं । इधर साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर उत्तराखंड पुलिस द्वारा पिछले कुछ वर्षों में सख्त कार्रवाई की गई लेकिन जिस प्रकार लगातार नए-नए अपराध के तरीके सामने आ रहे हैं पुलिस की कार्रवाई इसमें नाकाफी साबित हो रही है। बीते चार सालों में आंकड़ों पर नज़र डाली जाये तो 2019 की तुलना में 2022 में यह आंकड़ा 55 गुना तक बढ़ गया है ।
500 अधिक गिरफ़्तारी
प्रदेश में साइबर अपराध के मामलों में पुलिस लगातार काम कर रही है। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि हुए पिछले 3 सालों में 550 से अधिक गिरफ्तारी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि 2020 में जहां गिरफ्तारी का आंकड़ा 131 था वही 2021 में 252 वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 172 के पार पहुंच चुका है । उन्होंने बताया कि प्रदेश में उत्तराखंड राज्य में अब तक विभिन्न साइबर अपराधों एवं धोखाधड़ी के माध्यम से 86 करोड़ 25 लाख 41 हजार 796 रुपए के धोखाधड़ी सामने आई है जिसके तहत 29903 शिकायतें पुलिस ने दर्ज की हैं। पिछले 5 वर्षों के तुलनात्मक आंकड़ों का अध्ययन किया जाए तो वर्ष 2019 में 260 2020 में 2941 2021 में 6012 वर्ष 2022 में 14399 एवं वर्ष 2023 में अब तक 6291 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। विभिन्न मामलों में उत्तराखंड पुलिस की साइबर सेल यूनिट 5 करोड़ 33 लाख 45 हजार तीन सौ ₹50 की धनराशि लोगों को वापस करवाने में सहायता की है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बढ़ रहे मामले
उत्तराखंड में चाइल्ड पोर्नोग्राफी Child Pornography के मामलों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। प्रदेश में इस सम्बन्ध में 65 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। बागेश्वर,चमोली,रुद्रप्रयाग और पिथोरागढ़ को छोड़कर सभी जिलों में इस सम्बन्ध में मुकदमें दर्ज किये जा चुके हैं। इस समबन्ध में हरिद्वार में 20, देहरादून में 14, ऊधमसिंह नगर में 13 और नैनीताल में 5,चम्प्वत में 2, टिहरी में 3, पौड़ी और उत्तरकाशी में 1, जबकि अल्मोड़ा में 6 मामले दर्ज किये जा चुके हैं। ऐसे मामलों में कानून और भी ज्यादा कड़ा है।18 साल से कम उम्र के बच्चों को सेक्सुअल एक्ट में या नग्न दिखाते हुए इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मैट में कोई चीज प्रकाशित करना या दूसरों को भेजने जैसी गतिविधियाँ इस अपराध की श्रेणी में आती हैं। इससे भी आगे बढ़कर कानून में यह भी प्रावधान है कि जो लोग बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री तैयार करते हैं, इकट्ठा करते हैं, ढूंढते हैं, देखते हैं, डाउनलोड करते हैं, विज्ञापन देते हैं, प्रमोट करते हैं, दूसरों के साथ लेनदेन करते हैं या बांटते हैं तो वह भी गैरकानूनी है। बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ यौन संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रेकॉर्ड करना, एमएमएस बनाना, दूसरों को भेजना आदि भी इसके तहत आते हैं।
साईबर सुरक्षा टिप
- किसी अंजान व्यक्ति के बहकावे मे आकर Any Desk, Quick Support आदि Remote Access app डाउनलोड न करें ।
- ध्यान रखे कि अंजान व्यक्ति द्वारा भेजे गये किसी भी पेमेन्ट गेटवे /वॉलेट/मोबाईल एप्लीकेशन पर धनराशि प्राप्त करने हेतु कभी भी न तो QR कोड स्कैन करें, और न ही UPI पिन डालें ऐसा करने से हमेशा धनराशि आपके खाते से ही डेबिट होगी ।
- किसी अजनबी या किसी ऐसे व्यक्ति से प्राप्त संदेश का जवाब न दें जिसे आप नहीं जानते हैं।
- KYC अपडेट/मोबाईल नम्बर बंद होने सम्बन्धी मैसेज/फोन कॉल आने पर अपनी व्यक्तिगत/बैंक सम्बन्धी जानकारी शेयर न करें ।
किसी भी प्रकार के अन्जान लिंक पर क्लिक न करें। - किसी भी अन्जान व्यक्ति/महिला से फेसबुक या किसी भी सोशल साइट पर दोस्ती का प्रस्ताव स्वीकार न करें ।
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