अगर आपको नेचर और ग्रीनरी के साथ ही फूलों की हजारों प्रजातियां देखने में दिलचस्पी है तो उत्तराखंड आपकी राह देख रहा है। उत्तराखंड में फूलों की घाटी को 1 जून से पर्आयटकों के लिए खोल दिया गया है। इस वर्ष और अधिक तादात में पर्यटकों के पहुचने की उम्मीद है। यह घाटी ऐतिहासिक महत्व से विशेष है, इस घाटी का पता सन 1931 सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था। ये दोनों पर्वतारोही कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे इस दौरान वे रास्ता भटक गए लेकिन यहाँ की खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब पब्लिश करवाई। फूलों की घाटी रिज़र्व फारेस्ट है, जिसे अंग्रेजी में वैली ऑफ़ फ्लावर्स कहते हैं। फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में विश्व धरोहर घोषित किया गया। पोराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में आये थे।
फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए आपको ऋषिकेश से जोशीमठ तक करीब 270KM की दूरी तय करनी होगी। जोशीमठ में अप रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं, जोशीमठ से 19KM बदरीनाथ हाईवे पर आपको आगे गोविन्द घाट पहुचना होगा। सिक्ख धर्म का पवित्र धाम हेमकुंड साहिब जाने का रास्ता भी यहीं से जाता है। गोविन्द घाट से दो किलोमीटर गांव तक ही सड़क जाती है। इसके बाद यहाँ से 13 किलोमीटर का पैदल सफ़र शुरू होता है। इस रस्ते पर भयुन्डार घाटी होते हुए अप घांघरिया पहुचेंगे। यहाँ आपको खाने और रहने की सभी सुविधा मिला जाएगी। यहाँ से एक रास्ता हेमकुंड साहिब के लिए जाता है जबकि दूसरा रास्ता फूलों की घाटी पहुचता है,यहाँ से आपको 150 रूपये की पर्ची लेकर 1 बजे से पहले पहुचना होगा।
20 हज़ार से अधिक पर्यटक पहुंचे फूलों की घाटी
फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या पर नजर डाली जाए तो बीते कुछ वर्षों में इन आंकड़ों में बड़ा इजाफा हुआ है, वर्ष 2014 में यहाँ 484 पर्यटक, 2015 में 181, 2016 में 6503, 2017 में 13752, 2018 में 14742 पर्यटक, 2019 में 17424 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किया। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण 932 पर्यटक ही घाटी में पहुंचे थे जबकि 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण एक जुलाई को देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोली गई थी और 9404 पर्यटक फूलों की घाटी आये। 2022 में रंग बदलने वाली घाटी का दीदार करनें 20827 पर्यटक पहुंचे, जिसमें 280 विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं।
500 प्रजाति से अधिक फूल
फूलों की घाटी में तीन सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहाँ खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है। फूलों की घाटी में जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंगबिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता है।
वर्ष 2023 के सीजन के लिए विश्वप्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। बीते कुछ समय में लगातार बढ़ती पर्यटकों की आवाजाही से स्थानीय लोगों में काफ़ी उत्साह है। इस बार बेहतर सीजन रहने की उम्मीद है।
चंद्र शेखर चौहान, अध्यक्ष, ईडीसी भ्यूंडार